त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि
त्रिफला चूर्ण बनाने के लिये आपको सूखे हुये बड़ी हरड़, बहेड़ा और आंवला चाहिये। तीनों ही फल स्वच्छ एवं बिना कीड़े लगे होने चाहिये। इनकी गुठली निकाल दें और थोड़ा -थोड़ा मोटा कूट ले फिर उस के बाद उसे मिक्सी में बारीक पीसले और छान लें एवं बचे हुये भाग का अलग-अलग चूर्ण बना लें। बारीक छने हुये तीनों प्रकार के चूर्ण को किसी जार में भरकर रख लें । उदाहरण के लिये यदि 10 ग्राम हरड का चूर्ण लेते हैं तो उसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण और 40 ग्राम आंवले का चूर्ण मिलाएं। एक बार में उतना ही चूर्ण तैयार करें जितना कि 4 महीने चल जाये।
अगर आप घर में बना नहीं सकते तो पतंजलि का त्रिफ़ला चूरन का इश्तेमाल कर सकते हैं
आप एक चमच चूरन को हलके गुनगुने पानी या हल्का गरम दूध के साथ रोजाना ले सकते हैं.
२. हरीतिकी (छोटी अरहर का चूरन)
पतंजलि का हरीतिकी या फिर पिसा हुआ छोटी हरड़ का चूरन का इश्तेमाल कॉन्स्टपेशन को दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है. आप एक चमच चूरन को हलके गुनगुने पानी या हल्का गरम दूध के साथ रोजाना ले सकते हैं.
३. ईसबगोल
रोजाना एक चम्मच ईसबगोल दूध के साथ लेने से कॉन्स्टिपेशन(कब्ज) में फायदेमंद होता है. ईसबगोल आप को किसी भी मेडिसिन शॉप में आसानी से मिल जायेगी.
४. मुनक्का
मुनक्का को हल्का सा शेख लें . फिर उसको दूध के साथ रोजाना २ मुनक्का १५ दिनों तक लेने पर कब्ज में आराम मिलता है.
५. अरंडी का तेल (Castor Oil) –
अगर आप का कॉन्स्टिपेशन (कब्ज) बिलकुल ही ठीक नहीं हो रहा, आप बहुत कम मात्रा में अरंडी तेल ले सकते हैं. अत्यधिक मात्रा में लेने से आप को जुलाब होने का खतरा रेहता है.
अगर आप की स्तिति एक या दो दिन में बेहतर नहीं होती तो कृपया डॉक्टर से संपर्क करें